गूगल (google) पर नक़्शे देखते हुए मेरा मन फिर घूमने के लिए मचलने लगा था, ऐसा लग रहा था 'प्रकृति माँ' मुझे बाहें फैला कर पुकार रही हो की, आजा बेटा!! और मैं दौड़ कर उसकी गोद में दुबक जाना चाहता था, उसके साथ खेलना चाहता था, रोमांचित और हर्षित होना चाहता था…. भाई नीरज के साथ उत्तराखंड जाने का जैसे ही कार्यक्रम बनाया , मेरी पत्नी और बेटी मुझे अहसास दिलाने लग गये थे, कि आप एक जिम्मेदार पिता भी हो I
जहाँ मैं 'प्रकृति का बेटा' बन कर घर से निकलना चाहता था, वहीं एक पिता के रूप में बेटी के शब्द "पापा मत जाओ" मेरे कदम घर से निकालने को रोक रहे थे I बड़े असमंजस कि स्थिति थी वो I खैर .......
दो अप्रैल को बस से हरिद्वार के लिए चल दिया I बस के दिल्ली पहुँचने पर नीरज से हरिद्वार में ही मिलने की बात तय हो गई थी I
इससे पहले भाई संदीप जाट से मोटर साईकिल से नेपाल जाने का कार्यक्रम तय करने की कोशिश की, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से वो नहीं जा पाए ....खैर नेपाल बाद में सही I
हरिद्वार ऋषिकुल चौराहे पर उतरते ही नीरज को फोन लगाया, तो वो बोला कि, "ऋषिकुल चौराहे पर आ जाओ और एक किलो केले खरीद लेना, मैं बीस मिनट में आता हूँ"I चारों तरफ नजर दौड़ाई तो एक ठेले पर हरे केले दिखाई दिए I मैंने सोचा, उसे आ ही जाने दो तभी खरीदूंगा और वहीं थडी (चाय की दुकान) पर चाय वाले से एक चाय बनाने के लिए कह दिया I चाय कांच के गिलास में फुल भर के थी और हमें राजस्थानी 'कट' पीने की आदत है I चाय हलक में जाते ही दिमाग ख़राब हो गया न अदरक, न लोंग..... चाय फेंकने का मन करते हुए भी पांच रुपये का मोह उसे पीने पर मजबूर कर रहा था I
इधर नीरज के दिए हुए बीस मिनट आधे घंटे से भी ऊपर हो गए I सोचा क्यों न 'फ्रेश' (दीर्घ शंका) हो लिया जाये ('फ्रेश' शब्द 'दीर्घ शंका' के लिए प्रयोग करने पर नीरज को आपत्ति है) I
बोतल ले कर एक नहर के किनारे झाड़ियों में सरक लिए और (जैसा मैं पूर्व अनुमान किये बैठा था) नीरज का नाम मेरे मोबाईल की स्क्रीन पर चमकने लगा………..जल्दी से निवृत हो कर बात की और उसे वहीं (नहर के किनारे ) आने की बात कह कर फोन काट दिया I
अपने पेटेंट अंदाज में कानों में ‘खूँटी’ (इअर फोन) ठोंके नीरज महाशय सड़क पर दिखाई दिए और बोले, “चल आज रूद्रप्रयाग तक पहुंचना है” और ऋषिकेश वाली बस में चढ़ लिए I
गंगा मैया की मूर्ति |
यह मान लिया जाये कोई शंका नहीं रहा गयी यात्रा आरम्भ करने में :)
ReplyDeleteकृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये
वर्ड वरिफिकेसन हटा दी
Deletewaah maja aa gaya saab...... "deergh shanka"
ReplyDeleteSAHI JAA RAHE HO SARKAAR LAGE RAHO..................
धन्यवाद
Deleteविधान भाई जिम्मेदारी बढ रही है, घर की भी घूमने की भी दोनों जगह लगे रहो।
ReplyDeletesahi kah rahe hain.
ReplyDeleteअरे भाई, आपने यात्रा शुरू कर दी और बताया भी नहीं। बहुत बढिया यात्रा।
ReplyDeleteहम भी साथ ही चल रहे हैं विधान ....
ReplyDeleteOh neeraj ke sath sath aap bhi likh rahe ho badhai vidhan ji...
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