Monday, February 16, 2015

‘दो बूँद मोती’

(सच्ची घटना पर आधारित मेरी पहली कहानी)

छह साल की मुनिया ने चहकते हुए घर में कदम रखा और अपनी मम्मी से बोली ," ममा मैंने पता कर लिया है कि, सोमू भईया को उनके जन्मदिन पर क्या देना है !'' 
मुनिया की मम्मी ने भी बच्ची को छेड़ते हुए पूछ ही लिया , " पर भईया तुझे अपने जन्मदिन के दिन बुलाएगा क्या ?"
मुनिया का अति-आत्मविश्वास भरा जवाब था , "हाँ मम्मा !"

छोटी सी मासूम के बच्ची के कोई भाई नहीं है और वो अपने से 6-7 साल बड़े पड़ोस के लड़के के साथ खेलती थी, पतंग उड़ाती थी, उनके घर पर खूब धमा-चौकड़ी मचाती थी I    

 सोमू भईया !!सोमू भईया !!! हमेशा उसकी जुबान पर यही नाम रहता था


 एक -एक दिन सोमू भईया के जन्मदिन के इंतजार में बीत रहा था

और धीरे-धीरे सोमू भईया का जन्म दिन भी नजदीक आ गया
 जन्मदिन से एक दिन पहले मुनिया ने मम्मी से कहा, 'ममा सोमू भईया को घड़ी गिफ्ट देनी है ! उनके पास घड़ी नहीं है I"

माँ ने बच्ची के चहरे की तरफ देखा कि कहीं बच्ची मजाक तो नहीं कर रही है I लेकिन मुनिया के चेहरे पर दृढ निश्चय था !!

माँ फिर बोली , 'पर बेटा मेरे पास पैसे तो नहीं है !
मुनिया की नजरें गुल्लक की तरफ घूम गई , जो उसने पापा से जिद करके मंगवाया था ! 
अपने जेब खर्च और बड़ों से मिले हुए पैसों को बड़े जतन से उस गुल्लक में डाल दिया करती थी I     बच्ची बोली, ''कोई बात नहीं, मैं गुल्लक फोड़ दूँगी I " 
     
  एक छोटी सी बच्ची जो अपनी तमाम छोटी-छोटी ख्वाहिशों को भूल कर गुल्लक में पैसे सहेज रही थी, वो अब गुल्लक को एक पडोसी के लड़के के लिए फोड़ देगी, जिसे वो भाई मानती है  ! 
माँ को बच्ची पर बड़ा प्यार आया !!

अगले दिन मुनिया बड़ी उत्साहित और खुश थी सोमू भईया का जन्म दिन जो था
बच्ची ने अपना गुल्लक फोड़ दिया I छोटे -छोटे हाथों से सिक्के और नोट समेट लिए I

माँ के हाथों में उसने सारे नोट और सिक्के रख दिए और बोली, 'ये लो ममा ! अब बाजार से सोमू भईया के लिए घड़ी दिलवाओ !!'

माँ बच्ची का दिल नहीं तोडना चाहती थी I बच्ची के इकट्ठे किये हुए रुपयों से जो घड़ी आ सकती थी, वो उसे दिला दी I  
मुनिया बोली, 'मम्मा इसे पैक भी करवा दो न !'

 दुकानदार ने उसे सुंदर सी 'पन्नी' से पैक कर दिया और उस पर स्टीकर भी चिपका दिया
मुनिया बहुत खुश थी ! आज सोमू भईया को घड़ी गिफ्ट में देगी ! 

  'ममा सोमू भईया घड़ी पाकर कितने खुश होंगे न !' बच्ची ने चहकते हुए अपनी माँ को बताया I
'हाँ बेटा !' माँ ने जवाब दिया I

बच्ची घर आकर अब इंतजार कर रही थी की सोमू भईया उसे बुलाने आयेंगे , क्योंकि उसकी मम्मी ने कह रखा था कि, 'बेटा बिना बुलाये किसी के घर नहीं जाते!'

हर आहट पर वो गेट की तरफ भागती और जब कोई नहीं होता तो निराश घर में वापस आ जाती I

माँ ने आवाज दी , 'बेटा कुछ खा ले !'
बच्ची ने कहा , 'मुझे भूख नहीं है !'

आज मुनिया को टीवी पर कार्टून भी अच्छे नहीं लग रहे थे I
शाम हो चुकी थी पर सोमू भईया अभी तक बुलाने नहीं आये !

'मम्मा मैं सोमू भईया के घर खेल आऊ ?'  बच्ची के सब्र का बाँध टूट चुका था , इसलिए उसने अपनी माँ  से पूछा !

माँ जानती थी की सोमू भईया के घर मेहमान आ चुके होंगे, इसलिए वो उसे जाने नहीं देना चाहती थी पर बच्ची का दिल भी नहीं तोड़ना चाहती थी I
माँ ने अनमने मन से हाँ कर दी I

सोमू भईया के घर मुनिया ने देखा की मेहमान आ चुके हैं और गाजर के हलवे तथा अन्य मिठाइयों की महक फैली हुई है
मुनिया के मन में विचार चल रहा था कि सोमू भईया उसे देख ले और कह दे कि,  'मेरे जन्मदिन पर आना !
सभी लोग व्यस्त से थे मुनिया की ओर किसी का भी ध्यान नहीं था और सोमू भईया उसे अनदेखा कर के निकल गया I

मुनिया उदास-सी घर वापस आ गई I शाम धीरे-धीरे रात में बदल रही थी I मुनिया जो घड़ी गिफ्ट में देने के लिए लाई थी, उसे हाथ में ले कर बैठी थी I
जैसे ही सोमू भईया उसे बुलाने आएगा वो झट से साथ चल देगी !  

रात के 10 बज गए ! मुनिया बोली , 'ममा लगता है सोमू भईया मुझे बुलाने नहीं आएगा !'
 माँ बच्ची के मासूम अनिश्चय का क्या जवाब देती I मुनिया की उम्मीद अभी भी नहीं टूटी थी, पर सारे मेहमान अब जाने लगे थे

देर रात तक मुनिया को बुलाने कोई नहीं आया I

रात ज्यादा हो चुकी थी और सारी चहल-पहल ख़त्म हो गई थी I

माँ ने कहा, ‘बेटा सो जा ! जन्मदिन की पार्टी ख़त्म हो चुकी है !'

मुनिया उदास होकर घड़ी रखने गई और उसकी नजर अपने फूटे हुए गुल्लक के टुकड़ों पर पड़ी I
अपने नन्हे हाथों से मुनिया ने फूटे हुए गुल्लक के टुकडे समेटने शुरू कर दिए और मुनिया की आँखों से ‘दो बूँद मोती’ टपक कर गुल्लक के टुकडे पर पड़े ......

मिटटी का वो टुकड़ा भी प्यासा था शायद !! अपने अन्दर उन आंसुओं को जज्ब कर गया ....!!
 >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>











18 comments:

  1. Bahut achchi kahani likhi hai aapne, ummid hai aage bhi achchi kahani padhne ko milengi. Keep it up....

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सुनील जी !आप लोगों का आशीर्वाद बना रहे !!

      Delete
  2. Very emotional nd touching one vidhanji
    Thank u nd all the best.

    ReplyDelete
    Replies
    1. हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया रिंकू जी!

      Delete
  3. धन्यवाद सुनील जी !आप लोगों का आशीर्वाद बना रहे !!

    ReplyDelete
  4. Bahut hi marm shaparshi likha hai vidhan bhai.jyada shabad nahin hain kahne ko......

    ReplyDelete
  5. एक कोमल मन जो भेद भाव,ऊंच नीच को नही समझता वह केवल प्यार की भाषा समझता है,ऐसा ही मन था मुनिया का,पर उसका मन व विश्वास टूट गया,जो दुखद था...

    विधान भाई अच्छी कहानी थी....

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सचिन भाई !!

      Delete
  6. बहुत ही खूबसूरत पर भावुक करने वाली कहानी है या सच जो भी है
    निश्छल बचपन..........और मासूम दिल पर चोट
    आशा है आपकी कलम से निकली रचनायें आगे निरन्तर पढने को मिलती रहेंगी
    प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
    Replies
    1. अंतर सोहिल जी धन्यवाद !! आपके शब्दों से हौसला मिलेगा !!

      Delete
  7. सुन्दर मासूमियत भरी कहानी

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद कविता जी !

      Delete
  8. बहुत ही मर्मस्पर्शी कहानी।

    ReplyDelete
  9. बहुत ही मर्मस्पर्शी कहानी।

    ReplyDelete
  10. बाकि तो सब सपने होते अपने बस अपने होते है

    ReplyDelete
  11. आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  12. बहुत बहुत धन्यावाद आपको जो हमारे लिए इतनी प्यारी कहानी लिखी

    ReplyDelete